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ISRO's Remarkable Turnaround: शुरुआती असफलताओं के बाद गगनयान मिशन ने उड़ान भरी

भारत की अंतरिक्ष यात्राओं की ओर एक और कदम उठाता हुआ, ISRO (Indian Space Research Organisation) ने अपने Gaganyaan Mission के लिए त्यारियों में एक शानदार सफलता हासिल की। पर इसे एक शानदार सफलता पाने के लिए उन्होंने पहले एक असफलता का सामना भी किया। लेकिन उसके बाद, उन्होंने दिखाया की भारतीय साइंटिस्ट्स का हौसला कभी हार नही सकता है।

ISRO ने ISRO TV-D1 rocket को श्रीहरिकोटा से launch करने का प्रयास किया, जो की भारत की महत्वपूर्ण Gaganyaan Mission से जुड़ा हुआ था। लेकिन पहली कोशिश में रॉकेट की लिफ्ट ऑफ में कुछ समस्याएं आई और लॉन्च असफल हो गया। पर इसरो की टीम ने हौसला नहीं खाया सिर्फ 45 मिनट के बाद उन्होंने दोबारा कोशिश की।

Gaganyaan Mission, जो भारत की मानव अंतरिक्ष यात्रा का एक महत्वपूर्ण कदम है उसमें जुड़े पेलोड को लेकर एक परीक्षण या न फिर से 10:00 बजे सुबह लिफ्ट ऑफ किया इसमें सारी समस्याएं दूर की गई और रॉकेट सफलता से स्पेस में भेजा गया।

ISRO के Chairman, S सोमनाथ ने इस सफलता पर खुशी जताते हुए कहा, "में Gaganyaan TV-D1 mission की सफलता का समाचार देने के लिए खुश हूं."

एक X (Twitter) पर एक पोस्ट में ISRO ne बताया, "Launch होल्ड का कारण पहचान लिया गया और सुधार किया गया है अब लॉन्च आज 10:00 बजे के लिए तैयार है।"

ISRO ke chief ने बताया की पहली कोशिश में इंजन इग्निशन में आई समस्याओं के कारण मिशन का लिफ्टॉफ नहीं हो सका था। लेकिन उन्होंने बताया की उन्होंने इन समस्याओं को पहचान लिया और सुधार किया, और दूसरी बार का लॉन्च 10:00 बजे के लिए तैयार है।


Gaganyaan Mission भारत के प्रयास का एक महत्वपूर्ण कदम है जिसमें दिखाया जा रहा है कि मानव को अंतरिक्ष यात्रा करने में सफलता मिलती है इस प्रोजेक्ट में सोचा गया है कि तीन सदस्यों का एक झूला 400 किलोमीटर की ऊर्जा में भेजा जाएगा जहां से उन्हें 3 दिन के मिशन के लिए भेजा जाएगा और फिर उन्हें भारतीय भूमि में सुरक्षित वापस लाया जाएगा।

यह कार्यक्रम भारत को अमरीका, रसिया, और चीन के बाद मानव अंतरिक यात्रा मिशन की लॉन्च करने वाला चौथा देश बनाएगा। भारत के अंतरिक यात्रा इनिशिएटिव के सफलताओं पर आधारित होकर, जैसे की चंद्रयान-3 और आदित्य L1 missions, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्देश दिया की अब भारत को नए और महत्वपूर्ण लक्ष्यों की ओर बढ़ना चाहिए, जैसे की भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन' (Indian Space Station) को 2035 तक स्थापित करना और 2040 तक पहले भारतीय को चांद पर भेजना।

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